Friday, 1 August 2008

बेटा

एक बूढी औरत
अस्पताल मॆं
साथ ही इलाही दरबार मॆं
अपनी बारी के लिए कर रही हैं इंतजार.
उसके एक बगल हैं ,बेटा बंधी हैं उसकी कलाई मॆं
टाटा की घडी
दूसरी तरफ लेकिन बेटे से ज्यादा करीब
उसने रखी हैं छड़ी
"अम्मा तुम्हारा नंबर आ गया"-:वार्ड बॉय बोला
बुढ़िया उठती हैं
बेटे के हाथ को नकारती हैं
छड़ी के सहारे आगे बढ़ जाती हैं
सुना था
बेटे होते हैं बुढापे की छड़ी
छड़ी को बुढापे का बेटा होते मैंने आज ही देखा हैं ........

3 comments:

श्रद्धा जैन said...

hmm aajkal yahi sach hai
beta farz nahi nibha raha
samay badal gaya hai

aapka sawagat hai shabdon ki duniya main

डाॅ रामजी गिरि said...

छड़ी को बुढापे का बेटा होते मैंने आज ही देखा हैं ........

आज के सामाजिक परिवेश में रिश्तों के संक्रमण पर सटीक और करारा व्यंग किया है...

Pranav said...

Mast likha hai bhai!!
Keep it up!!
best of luck!!